फर्जी राष्ट्रवाद
किसी भी चीज की अधिकता अधिक नहीं होती। यही बात राष्ट्रवाद पर लागू होती है। फासीवाद (फ़ासिज़्म) और नाजीवाद (नेशनल सोशलिज्म अथवा राष्ट्रीय समाजवाद)भी अति राष्ट्रवाद के दो प्रमुख उदाहरण है।
फाजीवाद एक अति राष्ट्रवादी, निरंकुश, महानायकवादी प्रवृति है। विरोधियों का हिंसक दमन, समाज और अर्थव्यवस्था का धुर्वीकरण इसके मुख्य लक्षण है। प्रथम विश्व युद्ध के बाद मुसोलिनी ने इटली में इस प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया।
नाजीवाद फाजीवाद का एक रूप है जिसे जर्मनी में हिटलर के शासन में देखने को मिलता है। इसमें लोकतंत्र और संसद का तिरस्कार, जातीय शुद्धिता और मिथ्या अभिमान, एक राष्ट्र - एक धर्म - एक भाषा, एक संस्कृति का आग्रह है।
दूसरे विश्व युद्ध से पहले इटली में फासीवाद और जर्मनी में नाजीवाद का बोलबाला था। ये दोनों विचारधाराएँ कितनी विषैली और हानिकारक है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दूसरे विश्व युद्ध का एक मात्र कारण ये दोनों विचारधाराओं है, जिससे न सिर्फ इटली और जर्मनी बरबाद हो गए, बल्कि पूरे विश्व को भीषण तबाही हुई। लाखों सिपाही और निर्दोष लोग मारे गए। इसलिए इन दोनों पृवत्तियों को फर्जी राष्ट्रवाद कहना उचित है।
दूसरे विश्वयुद्ध के समय से ही भारत में इस तरह की प्रवृतियाँ पैदा हो गई थी। राष्ट्रीय स्वयं संघ (RSS) पर हमेशा से ही फासीवाद और नाजीवाद की विचारधारा को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे है।
श्याम चंद ने इस विषय पर एक पुस्तक "सैफ्रन फासिज्म" (2002) लिखी है।
श्याम चंद
श्याम चंद का जन्म 9 मार्च 1932 को हरियाणा में, सोनीपत के गाँव लाठ में हुआ। माता, पिता और भाई की मृत्यु को बाद श्याम चंद ने किशोर अवस्था कई वर्षों तक में मजदूरी की। बाद में एक प्राइवेट स्कूल में भरती हो गए और नौवी - दसवी की परीक्षा एक ही साल में पंजाब विश्ववि्द्यालय से प्रथम श्रेणी में पास की। बाद में नौकरी करते हुए उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय (सांय कालीन कालेज) से बी.ए. और एम. ए. किया।
श्याम चंद ने 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की परीक्षा पास की। लेकिन इस्तीफा देकर ब्रिटिश सिविल सर्विस में चले गए।
श्याम चंद ने 1968 में और फिर 1972 में हरियाणा विधान सभा का चुनाव जीता। हरियाणा सरकार में कैबिनेट स्तर के मंत्री बने। टैक्स संबंधी सुधारों से उनके कार्यकाल हरियाणा के राजस्व में तीन गुना वृद्धि हुई। उन्होंने इंस्पेक्टर राज को समाप्त किया। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण का गठन किया और उसके पहले अध्यक्ष बने। राज्य मे दहेज विरोधी कानून पास कराया। तकनीकी शिक्षा और समाज सुधार के अनेक कार्यक्रम चलाए। उन्होंने राज्य में पब्लिक डिस्ट्रीबूशन सिस्टम (PDS) की स्थापना की और हरियाणा के किसानों को पंजाब से ज्यादा समर्थन मूल्य दिलवाया।
मंत्री पद पर नहीं रहने के बाद श्याम चंद ने प्राइवेट नौकरी की।
श्याम चंद की मृत्य 8 मई 2018 को 86 वर्ष की आयु में हुई।
Saffron Fascism
Contents
1. Introduction
2. Counter Revolution
3. Caste System - An Exotic Concept
4. Assassination of the Mahatma
5. Misappropriation of National Symbols
6. God's Wrath
7. Culture Uncultivated
8. Punch in Thought
9. Vedic Lores, Not Scientific
10. RSS and Fascism
11. Nation on Rajor's Edge
12. The Day After
13. Bibliography.
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