शनिवार, 17 अक्तूबर 2020

रेप, नवरात्रि और हम

 भारतवर्ष देवभूमि है। यहाँ अनेक देवताओं ने जन्म लिया। यहाँ नारियों की पूजा की जाती है।  यह बुद्ध महावीर की कर्मभूमि है। जहाँ हिंसा का सदैव विरोध हुआ है। परन्तु क्या कारण है कि आज देश में प्रतिदिन महिलाओं के प्रति हिंसा, यौनअपराध और अन्य अपराध बढ़ते ही जा रहे है। क्या कारण है कि जिस देश में रानी लक्ष्मीबाई और सावित्रीबाई फुले जैसी महिलाओं ने जन्म लिया वहाँ महिलाएँ सुरक्षित नहीं है। आज नवरात्रि उत्सव का आरम्भ है।  नवरात्रि में नौ दिन तक दूर्गा माँ की विशेष पूजा की जाती है, साथ ही साथ कन्याओं को पूजने की भी परम्परा है। अतः महिलाओं के विषय पर लिखने के लिए इससे उपयुक्त अन्य कोई दिन नहीं हो सकता।  

 सर्वप्रथम प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में महिलाओं की स्थिति का वर्णन करते है। 

अहिल्या विश्व की सबसे सुन्दर स्त्री थी। देवेंद्र इन्द्र उससे विवाह करना चाहता था। परन्तु अहिल्या विवाह हुआ एक बूढे ऋषि गौतम के साथ। इंद्र पहले से ही अहिल्या पर आँख गढ़ाये बैठा था, सो एक दिन उसने मौका पाकर अहिल्या का रेप किया ( रामायण 7.3.17 - 36) । गौतम ऋषि को जब यह बात पता चली तो उन्हें दोनों को श्राप दिया। गौतम ऋषि के श्राप से अहिल्या हजारों साल तक पत्थर की मूर्ति बनी रही और बाद में भगवान राम ने उसका उद्धार किया। दूसरे शब्दों में अहिल्या को भी उसके प्रति होने वाले अपराध के लिए दोषी माना गया। क्यो?

रामायण में सीता को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी। उसका क्या अपराध था?  बाद में भगवान राम ने अपनी गर्भवती पत्नी सीता का त्याग किया जबकि वह पहले ही अपनी पवित्रता के लिए अग्नि परीक्षा दे चुकी थी। यह कौन-सी मर्यादा है? यह कौन-सी पवित्रता है जिसके लिए बार-बार निरपराध महिलाओं को बार-बार अग्नि-परीक्षा देने बढ़ती है? क्या यही नारी का सम्मान है? जी नहीं।

महाभारत में राजा युद्धिष्टर जुएँ में अपना सब कुछ हार जाते है। यहाँ तक अपने स्वयं को भी हार जाते है, फिर वह अपनी पत्नी द्रौपदी को भी जुएँ में लगा देते है। रानी द्रौपदी अब एक दासी है। और दासी के साथ दासियों जैसा व्यवहार होना ही चाहिए! भरी राजसभा में उसे बालों से खींचकर लाया जाता है और उसका वस्त्र हरण किया जाता है। जब राजसभा में राजा और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के सामने एक रानी की ऐसी दुर्दशा हो सकती है तब समाज में नारी की क्या स्थिति है, उसका अनुमान करना ज्यादा मुश्किल नहीं है।

अब आधुनिक भारत में, दहेज एक अभिशाप है। हजारों स्त्रियाँ दहेज के लिए जला कर मार दी गई। इससे पहले भी विधवाओं को जबरदस्ती सती करने की परम्परा थी।

आज भी कन्याभ्रूण हत्या पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाई है। रोज देश भर से रेप, हत्या और ऐसिड डालने के अपराध हो रहे है। इसके अलावा महिलाओं के प्रति अन्य अपराध जैसे मानव-तस्करी और जबरन वेश्यावृत्ति में लगातार वृद्धि हो रही है। सरकार, समाज और हम-सब इन अपराधों की रोकथाम में बुरी तरह असफल रहे है। कई बार समाज इन अपराधों के विरोध में खड़ा हो जाता है। किसी-किसी मामले में अपराधियों को सजा भी हुई है। लेकिन अधिकतर मामलों में पुलिस, सरकार और समाज का रवैया लचर ही रहा है। अनेक मामलों की रिपोर्ट तक नहीं लिखी जाती या देर से लिखी जाती है। अपराधियों की गिरफ्तार करने में अनावश्यक देरी की जाती है।

उन्नाव केस में पड़िता के पिता पर झूठे केस किए गए और फिर जेल में पिट-पिटकर उसकी हत्या कर दी। पीड़िता पर हर तरह का दबाव बनाया गया और अन्त में उसे जिंदा जला दिया गया। अधिकतर मामलों में पड़िता और उसके परिवार पर केस वापस लेने का दबाव डाला जाता है। अधिकतर मामलों में कानून, पुलिस और न्याय पड़ितों के पक्ष में नही हैं।

 एक अन्य केस में 1990 में 14 वर्षीय लड़की के साथ हुई छेड़छाड़ के मामले में लड़की और उसके परिवार वालों को पुलिस ने इतना परेशान किया कि लड़की ने अपने परिवार के लिए आत्महत्या कर ली। और दोषी पुलिसवाले को एक के बाद एक प्रमोशन मिलता रहा। यहाँ तक कि राष्ट्रपति मेडल भी मिलता है। 20 साल लम्बी कानूनी कार्यवाही के बाद दोषी पुलिसवाले को सिर्फ 6 महीने की सजा मिली!

उपर्युक्त दो उदाहरणों से स्पष्ट है कि वर्तमान कानून-व्यवस्था अपराधियों को उचित सजा देने में विफल है। अपराध की रोकथाम के लिए अपराधियों को बिना किसी देरी के उचित सजा मिलनी जरूरी है। खेद का विषय है कि कोई भी सरकार इस विषय में गम्भीर नहीं है।

लेकिन सिर्फ कानून-व्यवस्था में सुधार से महिलाओं के प्रति अपराधों में कमी नही होगी। इसके लिए महिलाओँ के सशक्तिकरण का अत्यन्त आवश्यक है। 

महिला को उनके अधिकार दिलाने और उनके सम्मान की रक्षा के लिए मेरे कुछ सुझाव है --

  1. लड़कियाँ और महिलाओं किसी भी पुरुष के पैर न छुए।
  2. लड़कें और पुरुष लड़कियों और महिलाओं को झुककर नमस्ते या सलाम जरुर करे। घर में बचपन से ही लड़कों की अपनी बहन, माता, अन्य लड़कियों का सम्मान करना सिखाया जाए। बाद में स्कूलों और कॉलेजों में महिला सम्मान और अधिकारों की शिक्षा दी जाए।
  3. सभी सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में लड़कियों को निशुल्क शिक्षा का प्रावधान किया जाना चाहिए।  निजी स्कूलों और कॉलेजों में लड़कियों की फीस आधी हो।
  4. महिलाओं को सभी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण। अन्य सभी प्रकार के आरक्षण समाप्त किये जाए। 
  5. विवाह में लड़की की सहमति आवश्यक होनी चाहिए। जबरदस्ती विवाह रोकने के लिए विवाह का पंजीकरण अनिवार्य किया जाए।
  6. शादी में होने वाले खर्चों  जैसे सजावट, दहेज, उपहार इत्यादि की  सीमा तय की जाए। 
  7. पुलिस के लिए सभी अपराधों की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करना अनिवार्य हो। सूचना मिलने पर तुरन्त पुलिस कार्यवाही हो।
  8. अपराधियों के समर्थन करने वालों का विरोध और सामाजिक बहिष्कार हो।
  9. मानव-तस्करी और जबरन वेश्यावृत्ति रोकने के लिए यौनक्रमियों का अनिवार्य पंजीकरण किया जाए।
  10. मॉडलिंग, फिल्में, टी.वी और वेवसीरिज में लड़कियों के शोषण के लिए कलाकारों का अनिवार्य पंजीकरण किया जाए।
 नवरात्री की शुभकामनाओं के साथ...